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मम्मी मेरी सुंदर / लक्ष्मी खन्ना सुमन

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घर की रानी बड़ी सयानी
अपनी बात चलाए
रोज सवेरे उठकर मम्मी
गुस्सा-प्यार जताए

बढ़िया केक मिठाई जाने
रक्खे कहाँ छुपाकर
थोड़ी-थोड़ी ही खानी है
वह कहती मुस्काकर

काम सभी का करतीं लेकिन
थोड़ा रौब जमातीं
मेरी गलती पर वह मुझको
धीरज से समझातीं

मैले कपड़ो को जब धोतीं
कहतीं यह झल्लाकर
कैसे कीचड़ मिट्टी आते
ये जनाब लगवाकर

वह मेरा उत्साह बढ़ातीं
मुझे पढ़ातीं जगकर
और सफलता पर इतरतीं
मम्मी मेरी सुंदर