भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रिश्ते और खोज स्नेह / ओम व्यास

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:00, 10 अप्रैल 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हर परिचय में
ढूँढता है
आदमी रिश्ते
और
रिश्तों में ढूँढता है
नेह का
एक टुकड़ा।
दुर्लभ सा हो गया है
वह
जिसे ढूँढता है आदमी,
पर
नकार कर वह सतत खोजता है
हर युग में हर समय
रिश्त जो पैदा होते है
नित नये ढंग से
और
कितनी ही बार
मर जाते है
पैदा होने से पहले ही।
स्नेह...
जो आवश्यक नहीं।
अनुबंध भी नहीं
रिश्तों के साथ
असीमित है
वह रेल के सहयात्री से।
पशुओं तक
सहज
पर फिर भी
खोजता है
आदमी
एक टुकड़ा प्यार का
रिश्तों में
निरन्तर।