भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अतीत / ओम व्यास
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:09, 10 अप्रैल 2020 का अवतरण
कलम भी लगती है बहकने
सुखने लगती है स्याही
लगती है भदरंगी
कागज भी मानों प्रतिकार करता हो
शब्द लगते है रुख से
जब भी कभी
कोशिश करता हूँ
अतीत को लिखने को