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वसंत / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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हुआ शिशिर ऋतु का अब अन्त।
छाया चारों ओर वसंत॥

सब पौधों में आये फूल।
रहे डाल पर झूला झूल॥

चलती शीतल मंद समीर।
फूलों पर भोंरों की भीर॥

रंगों की आ गई बहार।
अनुपम फूलों का संसार॥

बेला और चमेली श्वेत।
पीले हैं सरसों के खेत॥

है गुलाब सबका सम्राट।
इसका बड़ा अनोखा ठाट॥

उधर आम पर आया बौर।
पहना है वसंत ने मोर।

दूल्हा बन यह आया आज।
किया प्रकृति ने सब भुजा-साज॥

चलती अहा निराली चाल।
फूलों की लेकर जयमाला॥