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सावन के बादल / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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ओ सावन के बादल आओ
स्वागत साज सजायेंगे।
उमड़ घुमड़ कर बरसों रे तुम
हम मल्हारें गायेंगे।
बरसेगा अब जल आंगन में,
हम सब खूब नहायेंगे।
कागज की एक नाव बनाकर
हम उसमें तैरायेंगे।
बोल उठेंगे झिल्ली मेंढक
हम भी शोर मचायेंगे।
नाचेंगे सब मोर खुशी से
मन-आन्नद मनायेंगे।
किसी नीम की मोती डाली
झुला भी डलवायेंगे।
ऊँची ऊँची पेंगे लेकर
आसमान छू आयेंगे।