भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम? / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:49, 11 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कहों कहाँ से आती हो तुम
और किधर को जाती हो तुम
मटका लेकर जाती हो तुम
पानी भरने जाती हो तुम
तुम्हें कहाँ पानी मिलता है?
कैसे भर कर लाती हो तुम
क्या कोई झरना झरता है
या नदिया से लाती हो तुम
हैंड पंप से या कुयें से
पानी भरकर लाती हो तुम
एक घड़े के ऊपर दो-दो
कैसे रख कर लाती हो तुम
एक साथ सब चलती हो जब
हमको सुन्दर लगती हो तुम