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कौआ / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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देखो काला कउआ आया
खाने को मुंह में कुछ लाया
बैठ पेड़ पर खाता रहता
काँव काँव चिल्लाता रहता
क्वार माह में इन्हें खिलाते
ताब तों यह भी खुश हो जाते
इनकी बोली शुभ होती है
भाई आयेगा कहती है
दादी ने ही हमें बताया
खुश होकर हमको समझाया
कौआ बड़ा सयाना होता
काला किन्तु प्रेम मय होता
कोयल के बच्चों का पालक
बड़े प्रेम से उनको रखता
कोई भेद नहीं रखता यह
उड़ जाते तब तकता रहता।