भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गिलहरी / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:52, 11 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोजिनी कुलश्रेष्ठ |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आओ गिलहरी आओ गिलहरी
आकर बैठो पास गिलहरी
दोनों नन्हें हाथ उठाकर
मांगों हमसे बेर गिलहरी
भागो नहीं देख कर हमको
खाओ इनको यहीं गिलहरी
अच्छा मुझको बतलादों तुम
धारी कैसे बनियो गिलहरी
हमने सुना राम जी की अंगुली
फिरी पीठ पर अहा गिलहरी
पूंछ ब्रश-सी कैसे हो गई
कभी बताना मुझे गिलहरी।