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अनिल त्रिपाठी / परिचय
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पहली मार्च इकहत्तर को उ0प्र0 के एक निहायत छोटे गांव में जन्मे और फिर जे0एन0यू0 में दीक्षित अनिल त्रिपाठी को आलोचना के लिए `देवीशंकर अवस्थी सम्मान´ मिल चुका है। वे कविताएं भी खूब लिखते हैं और उनका एक कविता संकलन `एक स्त्री का रोज़नामचा´ नाम से छपा और चर्चित हुआ है। अनिल की कविताओं में साफ़ दिखता है कि उन्होंने त्रिलोचन के ``कविता में वाक्य पूरा करने´´ के निर्णय को पूरी तरह अपनाया है। वे समकालीन हिंदी साहित्य की दुनिया का एक सुपरिचित नाम हैं। पहल के नए अंक में उनकी कुछ कविताएं छपी हैं, उन्हीं में से एक कविता आपके पढ़ने को ! इस समय बुलन्दशहर ज़िले के एक छोटे कस्बे में हिंदी के प्राध्यापक हैं।