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जाड़े की धूप खिली / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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जाड़े की धूप खिली जाड़े की धूप
चुनरी से सरक पड़ी जाड़े की धूप

पेड़ों की फुनगी पर चिड़िया-सी धूप
पत्तों को चमकाती जाड़े की धूप

गुनगुनी लगती है जाड़े की धूप
ठंड भागा देती है जाड़े की धूप

रेवड़ी गज़क खूब खाती है धूप
मूँगफली छिलती है जाड़े की धूप

उठ जाओ जल्दी कहती है धूप
खिड़की से झाँक रही जाड़े की धूप

गद्दे रज़ाई से अच्छी है धूप
बड़ा सुख देती है जाड़े की धूप