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कोयल आकर सबसे बोली / मधुसूदन साहा
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कोयल आकर सबसे बोली,
आओ खेलें मिलकर होली।
रंगों का त्यौहार मनाएँ,
सबको अपना मीत बनाएँ।
तोता हरा रंग ले आया,
गौरेया ने गाना गाया।
मैना ले आयी पिचकारी,
होने लगी खूब तैयारी।
कौआ ने काला रंग घोला,
तभी बगल से बगुला बोला
' सोच-समझकर रंग डालना,
बेमतलब मत बैर पालना।
कोयल को क्या फर्क पड़ेगा,
उस पर दूजा रंग चढ़ेगा?
मैले होंगे पंख हमारे,
धुले-धुले चाँदी से प्यारे।
मुझे न गंदा रहना भाता,
कादो-कीचड़ रास न आता।
इसीलिए यह शर्त सुनो तुम,
फिर चाहे जो रंग चुनो तुम,
मूहको पीछे रंग लगाना
पहले 'सर्फ एक्सल' लाना।