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बाज कहाँ आता है बाज / मधुसूदन साहा
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लाख इसे तुम पाठ पढ़ाओ
बाज कहाँ आता है बाज?
कभी पक्षियों के मजिलस में
बन जाता सबका सरदार,
कभी दूर क्षितिजों पर जाकर
ढूँढा करता नया शिकार,
झट दबोच लेता पंजे में
दुष्टों का है यह सरताज।
लंबे-चौड़े पंख पसारे
नापा करता है आकाश,
कभी भूल से नहीं फटकती
छोटी चिड़िया इसके पास,
सब पक्षी में सबसे ज़्यादा
यही दिखता फुर्तीबाज़।
पके धान के खेतों में जब
दिखता चुहिया का परिवार
ऊपर से नीचे आ जाता
पलक झपकते गोतामार
यह भी भारत के सैनिक-सा
सदा दिखता है जांबाज