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सबको राह दिखाता जुगनू / मधुसूदन साहा
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वीहड़ वन से आता जुगनू,
जलता दीपक लाता जुगनू।
जब सूरज सोया रहता है,
सपनों में खोया रहता है,
अंधकार में आगे बढ़कर
सबको राह दिखाता जुगनू।
यह तम को कम कर देता है,
मन में राहत भर देता है,
आंगन के कोने-कोने में
तारे नित जड़ जाता जुगनू।
अंधकार जब होता गहरा,
घर-घर पड़ता भय का पहरा,
कैसे इससे पार मिलेगा
सारी रात बताता जुगनू।