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तितली रानी, तितली रानी / मधुसूदन साहा

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तितली रानी, तितली रानी
लगती हो तुम बड़ी सुहानी।

रेशम से हैं प्यारे-प्यारे
पीले-पीले पंख तुम्हारे,
डरकर क्यों तुम भाग रही हो
आओ खेलो संग हमारे।
हाथ मिलाओ मुझसे बढ़कर
तुम तो हो जानी-पहचानी।

तुम हो कितनी भोली-भाली
तरह-तरह के रंगों वाली,
कहाँ एक पल कहीं ठहरती
कहाँ बैठती क्षणभर खाली।
कभी हवा से बातें करती
कभी बैठकर पीती पानी।

तुम फुलवारी में आती हो
फूलों संग बतियाती हो,
सबसे हँस-हँसकर मिलती हो
हँसना सबको सिखलाती हो।
तुम्हें देखकर हर उपवन पर
चढ़ जाती है नई जवानी।

तुमको किसने सिखलाया है
डाल-डाल से प्यार बढ़ाना
कलियों के कूचे में जाकर
पंखुरियों पर रंग चढ़ाना।
हमको भी यह गुण सिखला दो
भर दो सब में नई रवानी।