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चींटी तुम पल भर सुस्ता लो / मधुसूदन साहा

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चींटी तुम पल भर सुस्ता लो
भूख लगी है, चीनी खा लो।

जल्दी क्या है, मुझे बताना
क्या तुमको भी पढ़ने जाना?
बैठो जमकर, बात करेंगे
बात-बात में रात करेंगे।
मुझको तुम अच्छी लगती हो।
क्योंकि रोज सुबह जगती हो।
मेरे साथ पढ़ा करती हो
छत पर रोज चढ़ा करती हो।

नहीं किसी से तुम डरती हो
मिलजुल कर सब कुछ करती हो।
मुझको भी तुम यह सिखलाओ
बदले में मिसरी ले जाओ।
तुमसे ही सब सीख रहे हैं
लाइन में जो दीख रहे हैं।
बोलो कल फिर आओगी कल ना
सिखलाने लाइन में चलना।