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गोल गोल ये लाल टमाटर / मधुसूदन साहा
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कितने सुंदर, कितने मनहर
गोल-गोल ये लाल टमाटर।
कोमल-कोमल, चिकने-चिकने
फलते हैं ये कितने-कितने
छूकर देखो, नरम-नरम ये
गिलहरियों के बाल टमाटर।
चटपट चटनी बन जाती है
सबके जी को ललचाती है
खुश होती है, मम्मी हरदम
हर सब्जी में डाल टमाटर।
चाहे इसे सलाद बना लो
या सेबों-सा इसको खा लो
जैसे चाहो, इसे पकाओ
करता नहीं सवाल टमाटर।