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जी ले अपना आज बावरे / राघव शुक्ल

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जी ले अपना आज बावरे,तू कल की मत सोच।

तू साहस के पंख लगा अपनी हिम्मत को तोल
बिना बात के पीट न अपनी कमजोरी के ढोल
देख न अपने पग के छाले,तन पर पड़ी खरोंच

प्रभु ने ही खींची हाथों में सुख की दुख की रेखा
निज कर्मों से लिखा मनुज ने स्वयं भाग्य का लेखा
उस साईं से मांग सभी कुछ तनिक न कर संकोच

वो सबका पालनहारा है वो खाने को देगा
तू जब प्यासा होगा वो बादल बनकर बरसेगा
दाना लेकर चिड़िया आई,बच्चे खोले चोंच