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ओ इस युग के संकट मोचक / अभिषेक औदिच्य

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ओ इस युग के संकट मोचक यदि संजीवनि लेने जाओ,
याद रहे यह साधु भेष में कालनेमि से भिड़ना होगा।

स्वयं शक्तियाँ याद करो तुम
जामवंत अब मूक बधिर हैं।
और सिंधु के पार दशानन
के सौ से भी ज़्यादा सिर हैं।
घर के भेदी पर तुम हनुमत,
किंचित भी निर्भर मत होना।
संभव है दल बदल विभीषण को भी पहले पढ़ना होगा।

सिर्फ मुद्रिका ही मत लाना,
हस्तलिखित पाती भी लाना।
और इधर से चूड़ामणि भी,
सिय से सत्यापित करवाना।
जिनको माँ ने ही छल डाला,
वे सबसे शंकित रहते हैं।
इसीलिए सब साक्ष्य साथ ले तुमको आगे बढ़ना होगा।

राम सेतु के बनने में भी,
दो अभियंता देर करेंगे।
हो सकता सुग्रीव मित्रता,
के बदले कुछ फेर करेंगे।
और पिता कि मृत्यु न भूला,
अंगद प्रतिशोधित बैठा है।
रावण से पहले तुम सबको अंगद से भी लड़ना होगा