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तान दिए चन्दवे / रवीन्द्र भ्रमर
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तान दिए चन्दवे
हरियाली के !
केसर से भर दीं रस क्यारियाँ
गुच्छों में झुला दिए फूल
मधुवासित कर दीं फुलवारियाँ
सपने लौटे हैं
वनमाली के !
तान दिए चन्दवे
हरियाली के !
कोकिल के कण्ठ कुहुक-गान दिए
पपीहे को पिया की सुमिरिनी
अपने को झूठे क्षण, मान दिए
घाव क्यों भरें
मेरी आली के !
तान दिए चन्दवे
हरियाली के !
हवा से कहा, बहिना ! धीरे बह
मेरी मँजरियाँ अनमोल
झर न जाएँ, पिछवारे बैठी रह
टिकोरे मिलेंगे
रखवाली के !
तान दिए चन्दवे
हरियाली के !