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फेवातालको पानीमा / गीता त्रिपाठी

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फेवातालको पानीमा नागबेली छाल पर्योा
डुङ्गा चढेँ साथमा तिमीलाई गाल पर्यो्
 
 
हिमगिरि उभिएर त्यसै त्यसै लजाएथेँ
थुम्काहरू घेरिएर हरियाली सजाएथेँ
रूझेँ म त मायाले छातीभित्रै ताल झर्योल
डुङ्गा चढेँ साथमा तिमीलाई गाल पर्योय
 
 
सिरूपाते नजरले मनभित्रै रेटिरह्यो
मनको प्यास पनि त्यही नजरले मेटिरह्यो
पर्खिएन समयले यति छिटै जाल गर्योह
डुङ्गा चढेँ साथमा तिमीलाई गाल पर्यो