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मदहोश नशाले भरिएको साँझ / गीता त्रिपाठी

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यो फूलबुट्टाले जडिएको साँझ
मदहोश नशाले भरिएको साँझ
 
झल्किरहेका सितारा हजार
चम्किरहेको उज्यालो नजर
पर्खिरह्यो त्यो मुहार माझ
मदहोश नशाले भरिएको साँझ
 
हेर्दै लजाउँदै प्रथम सम्मीलनमा
म सुहाग छरिएँ तिम्रो जीवनमा
नौलाख तारा आकाश माझ
मदहोश नशाले भरिएको साँझ