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देश दुख्यो / गीता त्रिपाठी

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देश दुख्यो, मुटु फुट्यो, मर्म छिचोलियो
बुद्धशान्ति फैलिएको आस्था बिटुलियो
एकताको आह्वानमा भई एउटै गोल
हत्याहिंसा बन्द गर कर्ममार्ग खोल
 
जताततै विध्वंसले बाटो बिथोलियो
सिर्जनाका हात काटी शान्ति किचोलियो
देशको रूपरङ्ग उड्यो गर्दा तोलमोल
हत्याहिंसा बन्द गर कर्ममार्ग खोल
 
कोट्याएको निहूँ थियो घाउ भयो गहिरो
सबैतिर एकैचोटि जान थाल्यो पहिरो
एक्लो भयो गाउँसहर एक्लो भयो टोल
हत्याहिंसा बन्द गर कर्ममार्ग खोल