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जप रे मनुवा / नोर्देन रुम्बा
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जप रे मनुवा जप हरि नाम
राम राम राम राम राम राम
रूप छ अनन्त नील गगन झैँ
गोल जटा सुन्दर भुवन झैँ
मीराको तिमी गिरिधर गोपाल
सुरदासको नवनीत चोर
जप रे मनुव...
तिमी साकार तिमी निराकार
मुनिजन सबले ध्यान गरेको
कोटि सहस्र कृपाको हात
चल्छ प्रभूको यहाँ दिन राम
जप रे...