भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुश्मनहरूको लाश निकाल / युद्धप्रसाद मिश्र

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:09, 9 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= युद्धप्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भ्रष्ट प्रशासन व्याप्त अशान्ति
क्षुब्ध लोकमत उन्मुख क्रान्ति

पोथी पत्रे दण्डित दण्डित
महल अटारी खण्डित खण्डित
तरुण रगतले आँखा हेर्‌यो
युगले आफ्नो कोल्टो फेर्‌यो

वचन नपाई आत्तिन थाले
देश चुसाहा नृपका टोली
भोका नाङ्गा ए कङ्काल
आ–आफ्नो छाती खोली

जहाँ कहाँ छौ त्यहीबाट सब
धाओ धाओ जाई लाग
मुखभरिको कारण पक्री
विजयोन्मुख भै चमडा माग

लाञ्छित जर्जर आत्मा बाल
दुश्मनहरूको लाश निकाल