भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ग़र चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे / अदम गोंडवी

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:25, 10 सितम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: ग़र चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे क्या इनसे किसी कौम की तक़दीर बदल द...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ग़र चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे

क्या इनसे किसी कौम की तक़दीर बदल दोगे


जायस से वो हिन्दी की दरिया जो बह के आई

मोड़ोगे उसकी धारा या नीर बदल दोगे ?


जो अक्स उभरता है रसख़ान की नज्मों में

क्या कृष्ण की वो मोहक तस्वीर बदल दोगे ?

तारीख़ बताती है तुम भी तो लुटेरे हो

क्या द्रविड़ों से छीनी जागीर बदल दोगे ?