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शिवोह्म / नीरज नीर

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मेरे भीतर रहती है
एक स्त्री
जो हँसती, गाती, मुस्कुराती है
और उसके वजह से ही मैं
हँसता, गाता और मुस्कुराता हूँ ...

मेरे भीतर रहती है एक स्त्री
जो भरी है दया, प्रेम, करुणा
और सहिष्णुता से
और उसके वजह से ही है
मेरे भीतर
दया, प्रेम, करुणा और सहिष्णुता ...

वो, जो कुछ भी दिखता है
जो बनाता है मुझे
आदमी
वह उस स्त्री की वजह से ही है
जो रहती है मेरे भीतर ...

जिस पल
मर जाएगी वह स्त्री...
मर जाएगी
मेरे भीतर की मानवता
और मैं बन जाऊँगा
आदमी से शैतान ...

मैं हूँ अर्द्ध नारीश्वर
शिवोह्म शिवोह्म