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एकान्त मेरो प्रिय / बद्रीप्रसाद बढू
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घुम्दै फेरि उतै पुगें तनहुँको थक्रेक आफ्नै घर
साँचो सत्य सँधै सफा हृदयमा मायाँ भरी सुन्दर
चौतारी वरको अहा कति चिसो छाँया सधैँ शीतल
थाकेको मनहुन्छ शान्त गतिलो एकान्त मेरो प्रिय !!