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मैनहैट्टन में बोदलेयर / वोल्फ़ वोन्द्राचेक / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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मुझे ऐसी औरतें पसन्द हैं,
जिन्हें कोई अब नहीं चाहता,
जो अधेड़ हैं और शादीशुदा
और कभी भी ख़ास सुखी नहीं थीं
और कभी भी जिन्होंने कोई अक्षम्य पाप नहीं किया,

सामाजिक ज़िम्मेदारी ढोती अकेली औरतें,
बालिग बेटे-बेटी वाली रुमानी औरतें
जो अपने नाखून रंगती हैं,

औरतें,
जो एक ह्विस्की पीकर मतवाली हो जाती हैं
बच्चों जैसी, जिन्हें यह भी नहीं पता
कि चूमते वक़्त सांस कैसे ली जाती है;

मुझे यह पसन्द है,
उनके जांघिये
रेडियो में मोत्सार्ट
और गलियारे में उनके क़दमों की आवाज़

और जिस तरीके से वे “छिः, गन्दा” या
“हाय, मर गई” कहती हैं ।

मुझे यह पसन्द है,
औरतें जिनके मर्द नहीं हैं,
शादीशुदा औरतें,
सती-साध्वी औरतें, जिन्हें सुख नहीं मिला,
बदसूरत औरतें, जो अपनी कामना की आग में जल उठती हैं,

जो शर्म के मारे बेहोश सी होकर
सिर्फ़ एकबार ऐसा काम करती हैं
और इसलिए मुझे विश्वसाहित्य का
एक कवि समझने लगती हैं ।

और जो फ़र्श पर लोटने लगती हैं,
और ज़ाहिर है कि इसके बाद
एक आम क़िस्म का ज़ुकाम हो जाता है.

मुझे यह पसन्द है
वे मरना चाहती हैं और मैं
जीना चाहता हूँ ।

मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य