भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार / वोल्फ़ वोन्द्राचेक / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:26, 25 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वोल्फ़ वोन्द्राचेक |अनुवादक=उज्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कभी उसने सोचा था,
प्यार अनोखा होता है,
और प्यार किया इसलिए उसने
सिर्फ़ एक से ।
हालत बदली,
जब प्यार ख़त्म हो गया
और प्यार शुरू हुआ
किसी दूसरे से ।
फिर बहुतों से उसकी मुलाक़ात हुई,
कुछ से उसका प्यार हुआ और वह भूल गई
कुछ एक को ।
अनोखा सिर्फ़ वही रह गया,
जो कभी उसने सोचा था ।
मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य