भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खिड़की पर / पॉल एल्युआर / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:23, 26 मई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पॉल एल्युआर |अनुवादक=उज्ज्वल भट्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे लिए हमेशा यह तयशुदा नहीं था, यह निराशा जो हममें से बेहतरीन को भरोसा दिलाती है। एक समय था जब मेरे दोस्त मुझ पर हंसते थे। मैं अपने शब्दों का मालिक नहीं था। एक बेफ़िक्री सी थी, मुझे हमेशा पता नहीं होता था कि मैं कहना क्या चाहता था, बल्कि अक्सर ऐसा होता था कि मेरे पास कहने को कुछ नहीं होता था। कहने की ज़रूरत और न सुने जाने की ख़्वाहिश। मेरी ज़िन्दगी एक डोर पर लटकी हुई थी।

एक समय था जब लगता था कि मैं कुछ नहीं समझ पा रहा हूँ। मेरी ज़ंजीरे पानी के ऊपर तैरती थीं।

मेरी सारी ख़्वाहिशों का जनम मेरे सपनों से हुआ है। और शब्दों के ज़रिये मैंने अपने प्यार का सबूत पेश किया। कैसी लाजवाब नस्ल को मैं सिपुर्द हुआ, कैसी उदास और सम्मोहक दुनिया में मैं घिरा हुआ ? मुझे पता है कि मुझसे सबसे रहस्यमय क्षेत्र, अपने क्षेत्र में प्यार किया गया। मेरे प्यार की भाषा इन्सान की भाषा नहीं है, मेरा इन्सानी जिस्म मेरे प्यार को नहीं छूता है। कामना की मेरी कल्पना हमेशा स्थिर और ऊँची है, ग़लती की कोई गुंजाइश नहीं है।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य