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मनुष्य-कर्तव्य १ / उमानाथ शर्मा पोख्रेल

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(१)
मानस-सरसी-विकसित
जनहित सित-पदम को माला ।
नरालि पुञ्जको गुञ्जनशाला
योहो आनन्द सन्दूक को ताला ।।

(२)
यस्को अमन्द गन्ध औरस,
औ, रस-माधुरीमा धुरीयर्र ।
नरकुञ्जर अजरामरता करतल गत
गर्न लाउँदैन क्यै वेर ।