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रूसी औरत / वोल्फ़ वोन्द्राचेक / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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वो चाहती है कि वो खो जाए
और सभी मिलकर उसे
ढूँढ़ निकालें ।
जो कुछ वह जानती है, उसे मिटा देती है
पुरानी किताबों से ।
जो कुछ वो चाहती है,
वो करती है
एक बच्चे की तरह ।
वो महसूस करना चाहती है,
कि ये ज़िन्दगी
दुखती है,
लेकिन वो
ख़ुश है ।
वो काम करती है
एक कामगार की तरह,
जो सपने देखता है ।
मर्द उसका पीछा करते हैं,
क्योंकि वे मर नहीं सकते
ऐसे एक क़िस्से के बिना,
पेरिस में तो बिल्कुल ही नहीं,
जहाँ वो रहती है ।
मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य