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मर्द बोलते जाते थे / वोल्फ़ वोन्द्राचेक / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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मर्द बोलते जाते थे,
जब सबसे ज़रूरी बात कही जा चुकी हो,

थोड़ा सा अपने बारे में और उसी के साथ
अनिवार्य रूप से औरतों की कहानियाँ और
उसी के साथ, एक या दो पी लेने के बाद,
कुछ भी नया नहीं. यह भी कोई नई बात नहीं होती थी
कि औरतों की इन कहानियों में
कहानियाँ ही होती थीं, औरतें
क़तई नहीं - जो ठीक भी है,

क्योंकि जो समझ में न आए
उसकी कहानी भी नहीं बनती है ।

मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य