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नर्क का ध्यान / बैर्तोल्त ब्रेष्त / अनिल एकलव्य

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नर्क का ध्यान करते हुए, जैसाकि एक बार मैंने सुना था,
मेरे भाई शेली ने उसे एक ऐसी जगह पाया था
जो काफ़ी कुछ लन्दन जैसी ही है। मैं,
जो लन्दन में नहीं रहता, बल्कि लॉस एंजेलेस में रहता हूँ,
पाता हूँ, नर्क का ध्यान करने पर कि यह
और भी अधिक लॉस एंजेलेस जैसी ही होनी चाहिए।

और नर्क में ही,
मुझे कोई शक नहीं है, ऐसे शानदार बाग़ हैं
जहाँ फूल इतने बड़े होते हैं जितने पेड़, मुरझाते हुए, जाहिर है,
बहुत जल्दी, अगर उन्हें अत्यन्त महँगे पानी से न सींचा जाए। और फलों के बाज़ार
फलों के भारी ढेरों के साथ, जिनमें कि इस सबके बावजूद

न तो कोई महक होती है न ही स्वाद। और मोटरों की अन्तहीन कड़ियाँ,
अपनी छायाओं से भी हल्की, और दौड़ते हुए
मूढ़ विचारों से भी अधिक तेज़, झिलमिलाते वाहन, जिनमें
गुलाबी लोग, न कहीं से आते हुए, न कहीं जाते हुए।
और मकान, ख़ुशी के लिए प्रारूपित, ख़ाली पड़े हुए,
तब भी जब बसे हुए।

नर्क के भी घर सब इतने तो बदसूरत नहीं होते।
पर सड़क पर फेंक दिए जाने की चिन्ता
आलीशान मकानों के निवासियों को भी
उतना ही सताती है जितना कि बैरकों के बाशिन्दों को।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल एकलव्य