भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आजकल त ज़माना बा राउर / आसिफ रोहतासवी
Kavita Kosh से
Jalaj Mishra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:03, 5 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} {{KKCatBhojpuriRachna}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आजकल त ज़माना बा राउर
गाँव संउसे दीवाना बा राउर
खेत-खरिहान खोरी बगइचा
अब त सगरे सिवाना बा राउर
बेवफाई प नइखी चीहाईल
ई त आदत पुराना बा राउर
आँख काजर करे में खोदाइल
ई त रोवल बहाना बा राउर
पल में ' आसिफ' के फांसी झूला दीं
कोट-इजलास, थाना बा राउर