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कहानी नसोध / ज्ञानुवाकर पौडेल
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वर–पिपलको कहानी नसोध
कसरी बित्यो जवानी नसोध
कहिले झरेछन् यी पातहरू
किन रोजें यो विरानी नसोध
रोई रोईकन म तिम्रो यादमा
कति भिजाउँथे सिरानी नसोध
टिप्नै नपाई पीरति को फूल
कहाँ चिप्ल्यो जिन्दगानी नसोध
बिजुली चम्केला’नि फेरि राती
अल्लारे बैंश को नादानी नसोध