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बसंत: नेक्सटजेन / संगीता कुजारा टाक

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उनके जीवन में
आता है बसंत
जब जला दी हो किसी ने
कमरे के बत्तियाँ
ऑन कर दिया हो ए.सी

जब उड़ेल दिया हो
पूरा का पूरा शराब
सोडे और मिनरल वाटर के साथ
पेश किया हो किसी ने कॉकटेल

आते रहे दोस्तों के मैसेज
और जब बजे मोबाइल की घंटी
उभर के आए बस वही एक नाम

बसंत तब आता है उनके जीवन में