Last modified on 14 सितम्बर 2008, at 17:20

कोई नहीं सुनता / नोमान शौक़

Nomaan Shauque (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 17:20, 14 सितम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: घायल शेर<br /> गरजता है ज़ोर ज़ोर से<br /> इतना कि ख़बर हो जाती है<br /> सारे ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घायल शेर
गरजता है ज़ोर ज़ोर से
इतना कि ख़बर हो जाती है
सारे जंगल को
और यक़ीन कर लिया जाता है
कोई अन्याय ज़रुर हुआ है
शेर के साथ

शेर के मज़बूत जबड़े में दबी
मेमने की गर्दन से निकलने वाली मिमियाहट
कोई नहीं सुनता
घास पर टपकने वाली
ख़ून की बूंद के सिवा!