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अबोलो / इरशाद अज़ीज़
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जे साच नीं बोल सकै 
तो कूड़ ई मत बोल्यै 
बता, चैते कर‘र बता 
कितरा दिन हुया 
जद थूं अपणै आप सूं मिल्यो 
करी ही दो घड़ी बंतळ 
सजाया हा सुपना 
जका थूं देख्या हा कदैई 
काच म्हारो मूंडो देखतो रैयग्यो 
अर म्हैं.... म्हैं 
कीं नीं बोल सक्यो
 
	
	

