Last modified on 15 जून 2020, at 21:02

विरासत / न्गुएन चाय / अनिल जनविजय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:02, 15 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=न्गुएन चाय |अनुवादक=अनिल जनविजय |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैंने लोक ढंग से कविताएँ पढ़ीं
पानी जो बह चुका है, अब वापिस नहीं लौटेगा
अतीत छुप चुका है वायवीय धुएँ में
रास्ते में जो बाधाएँ हैं, उन्हें वो नहीं घोटेगा

चान्दनी की राह बन्द थी, बांसवन सघन था,
झरने रोक नहीं पाए काले बादलों की छाया
सुनहरे और रुपहले रंगों का जो छन्द था
उस विरासत को भी हमारे समय ने भरमाया

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय