भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सिर्फ ख़यालों में न रहा कर / हस्तीमल 'हस्ती'

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:23, 17 जून 2020 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सिर्फ़ ख़यालों में न रहा कर
ख़ुद से बाहर भी निकला कर

लब पे नहीं आतीं सब बातें
ख़ामोशी को भी समझा कर

उम्र सँवर जाएगी तेरी
प्यार को अपना आईना कर

जब तू कोई क़लम ख़रीदे
पहले उनका नाम लिखा कर

सोच समझ सब ताक पे रख दे
प्यार में बच्चों सा मचला कर