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ये जीवन तो मधुवन सा हैं / शोभना 'श्याम'
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ये जीवन तो मधुवन-सा हैं
सांसो का ये गुंजन-सा हैं
वीणा के तारों का घर्षण
प्राणों का स्पंदन-सा हैं
इच्छाओं का नर्तन मन में
पीड़ा के आमंत्रण-सा हैं
फीका फीका मुख उषा का
सूरज आया बेमन-सा हैं
महके महके रात दिवस हैं
प्यार तुम्हारा चंदन-सा हैं
बादल में छिप चाँद जो झांकें
लगता प्रिय की चितवन-सा हैं
सांसों में तो जलता मरुथल
आँखों में पर सावन-सा हैं
सीता जैसी मति हर लेता
मोह हठीला रावण-सा हैं
सुख के फूल दुखों के काँटे
ये जीवन भी उपवन-सा हैं