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रागनी 8 / सुमित सिंह धनखड़

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गैल चलूंगी साथ में, ना करती बिलकुल टाल़, पति तू हो लिया मेरा...

मै तै तेरी गेल्या-गेल्या आउं
तेरे बिना ना किते और मैं जाऊँ
दुख ठाऊ दखे गात में, सीता जी की ढाल़, मनै सच्चा रघुराई टेरा

रह ल्यूंगी बण तेरे चरण की दास
हरदम राखूं अपणे पिया कि मैं ख्यास
पास रहूँ दिन रात में, बाँध धर्म का पाल़, जन्म ना कोए तोड़णिया ले रहा...

साच कहूँ मेरा तेरे में बण्या मोह सै
बस मेरा दो रोटी का हे खो सै
कोए नहीं ल्हको सै बात में, मैं तेरे नाम का माल़, इब तूं बाँध ले सेहरा...

मन वचन तै पति मनै मान लिया
ना मान्या मैं खो दूंगी यो जिया
पिया तेरी जान सै तेरे हाथ में,
आपै इब संभाल, सुमित सिंह यो गात सै तेरा