भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जो तुमसे प्यार न करता मैं / कमलेश द्विवेदी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:27, 30 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरी आँखों में सपनों का प्यारा संसार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।

जब कोई ख़ुद से प्यार करे
तो दिल में प्यार उमड़ता है।
जो दर्पण जैसा दिखता है
दिल उसका हाथ पकड़ता है।
बिन दर्पण करना चाहो तो अच्छा शृंगार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।

मुझको ख़ुद पर विश्वास बहुत
पर ख़ुद से ज़्यादा तुम पर है।
ख़ुद पर चाहे मैं कर न सकूँ
तुम पर जीवन न्यौछावर है।
लगता है तुम बिन जीवन का कोई आधार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।

प्रतिफल में प्यार न देते तुम
मैं तुमसे कैसे जुड़ पाता।
जो मेरा नाता है तुमसे
ख़ुद से भी वैसा है नाता।

तुमको स्वीकार न होता जो मुझको स्वीकार नहीं होता।
जो तुमसे प्यार न करता मैं ख़ुद से भी प्यार नहीं होता।