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उससे दिल की कह ही डाली / कमलेश द्विवेदी

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आज जुटाकर हिम्मत मैंने उससे दिल की कह ही डाली।
अब चाहे वह भर दे झोली या मुझको लौटा दे खाली।

जब तक दिल की बात छिपाकर
रक्खी मैंने अपने दिल में।
तब तक मैं था कुछ दुविधा में
तब तक मैं था कुछ मुश्किल में।
पर लगता है कहकर मैंने दुविधा-मुश्किल और बढ़ा ली।
आज जुटाकर हिम्मत मैंने उससे दिल की कह ही डाली।

मैंने तो बस यही सुना था
सच कहना अच्छा होता है।
भीतर-बाहर एक सरीखा
जो होता सच्चा होता है।
मैं सच्चा हूँ तो फिर मेरी क़िस्मत भी देगी ख़ुशहाली ।
आज जुटाकर हिम्मत मैंने उससे दिल की कह ही डाली।

और नहीं कुछ ख़्वाहिश मेरी
चाहूँ इतना बस हो जाये।
वो केवल "हाँ" भर कह दे तो
जीवन सुखद-सरस हो जाये।
उसके बिन फीकी लगती है होली हो चाहे दीवाली।
आज जुटाकर हिम्मत मैंने उससे दिल की कह ही डाली।