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कितने गहरे नाते हैं / कमलेश द्विवेदी

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हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।
जो अहसास तुम्हें सुख देते, हमको सुख पहुँचाते हैं।

तुम कहते हो अपने दिल की
हम कहते हैं अपने दिल की।
लेकिन दिल की बातें कहना
होती बात बड़ी मुश्किल की।
फिर भी हम-तुम आसानी से हाले-दिल कह जाते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।

हमने माना हर रिश्ते की
अपनी इक मर्यादा होती।
जहाँ समझते हम मर्यादा
वहाँ न कोई-कोई बाधा होती।
इसीलिए तुम जिसे निभाते हम भी उसे निभाते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।

यों तो जीवन की राहों में
कितने मिलते और बिछुड़ते।
मगर कभी क्या ऐसे रिश्ते
हर मिलने वाले से जुड़ते।
सच है सारे रिश्ते ऊपर से ही बनकर आते हैं।
हम दोनों के बीच दिलों के कितने गहरे नाते हैं।