तुम मेरे सपनों में आते / कमलेश द्विवेदी
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।
कभी तुम्हारे सपनों में क्या बोलो मैं भी आता हूँ?
कितनी-कितनी खुशियों वाली
मेरी वे सब रातें होतीं।
जिन रातों में घंटों-घंटों
तुमसे दिल की बातें होतीं।
सपनों में वह भी कह देता जिसे न यों कह पाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।
सिर्फ़ रात ही नहीं मुझे वो
दिन भी बहुत सुहाना लगता।
क्या बतलाऊँ कितना अच्छा
मुझे तुम्हारा आना लगता।
अगर हक़ीक़त में न मिल सकूँ सपनों में मिल जाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।
सोचो क्या जो सपने आते-
वे बस ऐसे ही आते हैं।
जीवन की कोई सच्चाई
भी वे हमको दिखलाते हैं।
सपनों में भी सच्चाई से रखता गहरा नाता हूँ।
तुम मेरे सपनों में आते सच-सच तुम्हें बताता हूँ।