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कुछ शब्दों में कैसे कह दूँ / कमलेश द्विवेदी
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कुछ शब्दों में कैसे कह दूँ दिल की सारी बातों को।
दीप व्यक्त कर सकता है क्या कभी चाँदनी रातों को।
महामिलन के मधुरिम क्षण को
क्या कोई भी गा सकता है।
क्या गूँगा मीठा फल खाकर
उसका स्वाद बता सकता है।
उसका चेहरा देख समझ लो ख़ुशियों की बरसातों को।
कुछ शब्दों में कैसे कह दूँ दिल की सारी बातों को।
कोई सोच रहा हो-उसको
कोई पुरस्कार मिल पाये।
लेकिन चमत्कार हो ऐसा
वो ही सबसे अव्वल आये।
अपनी ख़ुशी बता सकता क्या वह पाकर सौगातों को।
कुछ शब्दों में कैसे कह दूँ दिल की सारी बातों को।
शब्दों की सीमायें होती
अर्थों में होती व्यापकता।
कहा नहीं जा सकता है जो
उसको भी समझा जा सकता।
आओ झूमें-नाचें-गायें ले हाथों में हाथों को।
कुछ शब्दों में कैसे कह दूँ दिल की सारी बातों को।