मजदूर छी हम / किसलय कृष्ण
रोटी नूनक लेल अपन माटि सँ दूर छी हम
व्यथा सुनत के एतय हमर, मज़दूर छी हम
ककरा हेतै अपने घर छोड़बाक सेहेन्ता
मुदा आँखि में धिया-पुता परिवारक चिन्ता
माघक शीतलहरी में मिझाइत सन घूर छी हम
व्यथा सुनत के एतय हमर, मज़दूर छी हम...
बाहर में परवासी आ गाम लेल छी परदेसी
ताकि रहल छी परिचय, आर कहू की बेसी
मेघ दिस टकटकी लगौने परती खेतक धूर छी हम
व्यथा सुनत के एतय हमर, मज़दूर छी हम...
मायक दम्मा आ बाबूक ठेंहुन दर्द मोन अछि
चूबैत चार आ आंगन सेहो बेपर्द मोन अछि
नुआ सेहो कीनितहुँ, ककरो माथक सिन्दूर छी हम
व्यथा सुनत के एतय हमर, मज़दूर छी हम...
विपत्ति अकानत हमर तेहेन सरकार नहि छै,
वोटे टा चाही हमरो, दोसर दरकार नहि छै,
नीक दिन केर बाट तकैत, थाकल चूरमचूर छी हम
व्यथा सुनत के एतय हमर, मज़दूर छी हम...