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मुझे भी सुनाना / कैलाश झा ‘किंकर’

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मुझे भी सुनाना
वफ़ा का फ़साना॥

न भूलूँ कभी मैं
न मुझको भुलाना।

हुआ हूँ मैं तेरी
नज़र का निशाना।

चलेगा न अब वो
तुम्हारा बहाना।

मुहब्बत का दुश्मन
है सारा ज़माना।

यकीनन तेरा मैं
तू मेरा दिवाना।

न मायूस होकर
तू आँसू बहाना।

सुकूं दे रहा है
तेरा हर तराना।

ग़मों में भी साथी
तू हँसना-हँसाना।

जो तुमने किया था
वो वादा निभाना।

नये रास्ते पर
न तुम डगमगाना।

हूँ तुझसे मुख़ातिब
नया है ठिकाना।

निगाहों में तेरी
मेरा आबोदाना।

वफ़ाई में "किंकर"
है जीवन बिताना।